अस्तित्वम् फाउंडेशन का पंजीकरण | उत्तराखंड
अस्तित्वम् फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य विगत 9 वर्षों से उत्तराखंड राज्य की संस्कृति, संसाधनों, व्यवस्थाओं तथा परंपराओं को सहेजकर रखने हेतु निरंतर कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2012 से, एक बेहतर समाज और स्वस्थ पर्यावरण बनाने के दृढ़ संकल्प और सकारात्मक दृष्टि को एक गैर सरकारी संगठन “अस्तित्वम् फाउंडेशन” के पंजीकरण के माध्यम से 2021 में आरंभ किया गया। संस्था को सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 ई० के अधीन सम्यक रूप से पंजीकृत किया गया।
अस्तित्वम् नाम हिंदी शब्द “अस्तित्व” तथा आध्यात्मिक ध्वनि “ओम” की संधि से निर्मित हुआ है। जिसमें ‘अस्तित्व’ का अर्थ विद्यमानता अथवा उपस्थिति है तथा ‘ओम’ जोकि सृष्टि में गुंजायमान एक दिव्य ध्वनि है। ओम एक पूर्ण मंत्र है, जिसका उच्चारण हर धार्मिक कार्य व यज्ञ से पहले किया जाता है। उत्तराखंड राज्य में स्थित कुछ दिव्य मंदिरों की अद्वितीय वास्तुकला के समीपस्थ दर्शन के उद्देश्य से की गई आध्यात्मिक यात्रा के दौरान भारतीय चित्रकार विवेक चंद्र बिष्ट को ब्रह्मांड में विद्यमान अद्वितीय दिव्य ऊर्जा की अनुभूति हुई। अपने इस अनुभव को उन्होंने अपने साथी सदस्यों मोहित लोहनी, संदीप बिष्ट तथा नवनीत पाण्डे से साझा किया। उस अलौकिक ऊर्जा की अनुभूति के प्रसंग ने उन सभी सदस्यों को सामाजिक सुधार हेतु आध्यात्मिकता, समानता तथा रचनात्मकता का संदेश प्रेषित करने हेतु प्रेरित किया।
अस्तित्वम् फाउंडेशन संस्था के अध्यक्ष श्री विवेक चंद्र बिष्ट के अनुसार रचनात्मक शिक्षा तथा काल्पनिक कलाविधाओं के माध्यम से समय के साथ विलुप्त होती कलाशैलियों को संरक्षित किया जा सकता है ताकि भारतवर्ष की समृद्ध संस्कृति को सहेजकर रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सके। संस्था की सचिव श्रीमती चंद्रा गिरी मिश्रा अपने सकारात्मक दृष्टिकोण तथा जीवनशैली को झुग्गी बस्तियों में रहने वाले आर्थिक तथा सामाजिक रूप से पिछड़े जन समुदाय के उत्थान हेतु समर्पित कर रही हैं। संस्था द्वारा वर्तमान समय में बाखली संरक्षण, जल संसाधन संरक्षण, वास्तुकला पर आधारित पौराणिक मंदिरों का संरक्षण, मानसिक तथा शारीरिक व्यायाम, स्वच्छता अभियान, गौमाता सेवा तथा भोजन वितरण इत्यादि माध्यमों से जन समुदाय तक एक सकारात्मक संदेश प्रेषित करने का प्रयास किया जा रहा है।